Maharaja Surajmal Balidan Diwas : कैसे हुई मृत्यु :-
Maharaja Surajmal Balidan Diwas की बात करे तो maharaja surajmal की मृत्यु कैसे हुई इसका कारन मुगल रोहिल्ला सैनिकों द्वारा घात लगाकर किए गए एक हमले में हुई थी। maharaja surajmal जी की मृत्यु 25 दिसंबर 1763 को रात के समय हिंडन नदी के तट पर हुई थी।Maharaja Surajmal Balidan Diwas के बारे में आगे और जाने –
Maharaja Surajmal Balidan Diwas :-
| जन्म: | फरवरी १७०७, भरतपुर | |
मृत्यु: | २५ दिसंबर १७६३ (आयु ५६ वर्ष), शाहदरा, दिल्ली |
| बच्चे: | जवाहर सिंह, भरतपुर के रणजीत सिंह, भरतपुर के रतन सिंह, भरतपुर के निहाल सिंह |
| पति: | कल्याणी रानी, रानी गौरी, रानी हंसिया, रानी खत्तू, गंगा रानी |
| माता-पिता: | बदन सिंह, रानी देवकी |
| पोते: | भरतपुर के रणधीर सिंह, केहरी सिंह, बलदेव सिंह |
| प्रवाद पोता: | भरतपुर के बलवंत सिंह |
maharaja surajmal की वीरता :-
maharaja surajmal एक बहुत ही वीर और महान योद्धा थे और maharaja surajmal Ka Itihas भी काफी रोचक है।
Maharaja Surajmal Balidan Diwas की बात करे तो आप maharaja surajmal की वीरता का अन्दाजा इस बात से लगा सकते है की maharaja surajmal अपने जीवन में 80 युद्ध लड़े था , जिसमें से एक भी युद्ध नहीं हारा और मुगलो को तो बहुत ही बुरी तरहे से धूल चटाई ही इसलिय इस बात को कहने में कोई संदहे नहीं है की वो बहुत ही साहसी जाट योद्धा रहे।
कई इतिहासकारों का कहना है कि maharaja surajmal ने अपने सम्पूर्ण जीवन में कुल 80 युद्ध लड़े थे , और सभी 80 यौद्धो को जेता था । तो आइए महान महाराजा सूरजमल का इतिहास और इनकी वीरता के बारे में जानते हैं-
maharaja surajmal जी ने अपना प्रथम युद्ध 25 वर्ष की आयु में सोघरिया रुस्तम पर आक्रमण करके विजय प्राप्त की गई थी। maharaja surajmal ने सन 1753 में दिल्ली पर शासन कर रहे नवाब गाजी एल्डिन पर आक्रमण किया था। maharaja surajmal की सेना काफी विशाल थी, जिसका सामना मुगलों से नहीं हो सका। यह युद्ध कुल 3 दिन तक चला था।
जिसमें maharaja surajmal जाट ने एक होकर दिल्ली के सभी प्रमुख महासागरों पर अपना कब्ज़ा कर लिया था जिसका अर्थ यह था कि यह युद्ध मराठा साम्राज्य की लड़की से था। इस युद्ध के दौरान काफी सेना के लोग मारे गए। लेकिन राजा सूरजमल की वीरता के कारण 70 साल से चल रहे मुगल शासन को समाप्त कर दिया गया था।
maharaja surajmal जाटों के लिए उनका मान, सम्मान और गौरव है,आधा जाटों को एक अलग पहचान दी जाती है, आज जाट समुदाय का हर व्यक्ति इनपर गर्व करता है और अपनी आदर्श पहचान रखता है, और माने भी क्यों ना maharaja surajmal जाट ऐसे हैं भारत वर्ष में कोई राजा हुआ ही नहीं। इसपर एक कहावत भी है
महाराजा सूरजमल को सूजन सिंह के नाम से भी जाना जाता है। maharaja surajmal की स्थापना सन 1733 में जूनून में हुई थी।
maharaja surajmal का बलिदान कहाँ हुआ? :-
महाराजा सूरजमल का बलिदान हिंडन नदी के तट पर हुआ था। जब महाराजा सूरजमल 25 दिसंबर 1763
को नवाब नजीबुद्दौला के साथ हिंडन नदी के किनारे युद्ध कर रहे थे, तब युद्ध करते हुए उन्होंने वीरता
पूर्ण अपना बलिदान दिया।
महाराजा सूर्यमल की वंशावली :-
महाराजा सूर्यमल की वंशावली काफी बड़ी है, एक जानकारी के अनुसार महाराजा सूर्यमल के पुत्र का नाम जवाहर मल था। जवाहर मल के बेटे का नाम चंद्रमुशी। उनके बेटे चंदमल, फिर चंदमल के बेटे छोटू माल, और उनके बेटे जामली माल और जामली माल के बेटे गुमानी और गोधू हुए।
भाई उदय सिंह गुमानी कैथल में रियासत में चले गए और उन्होंने शेरगढ़ बसा गांव ले लिया। उस गांव में जाट समाज का एकमात्र मायहला गोत्र ही मौजूद है। फिर गुमानी मल के 7 बेटे मिले नाम हरभज मल ,सादा राम, दोतिया, मोहर सिंह, सुशराम, रूपराम और नंदू।
उनके बाद इन सात एल्बमों में से हरभज मल के बेटे आसू राम हुए, और फिर उनके 4 बेटों का नाम रखा गया, रण सिंह, धन सिंह, दीवान सिंह और रामकिशन। ऐसे ही उस गांव में गुमानी मल के 6 बेटों की औलाद है, और पूरे गांव में महिला गोत्र के करीब 200 परिवार रहते हैं।Maharaja Surajmal Balidan Diwas के बारे में जानकारी बढ़िया लगी तो कमेंट कर जरूर बताये –
महाराजा सूरजमल पर कबिता:-
मां मुझको तलवार दिला दो,
मैं सूरज बन दिखलाऊंगा।
लड़कर देश के दुश्मन से,
भगवा दिल्ली पर लहराऊंगा।।
मां केसरिया बाणा ला दो,
रण में शौर्य दिखलाऊंगा।
या तो विजय होगी अपनी,
या वीरगति को पाऊंगा।।
मां मुझको तलवार दिला दो,
मैं सूरज बन दिखलाऊंगा।।ॐ।।
मां लोहागढ़ की मिट्टी ला दो,
मैं सदा अजेय बन जाऊंगा।
मार मार के तीर कटारे,
दुश्मन को धूल चटाऊंगा।।
मां महाराजा की मूर्ति ला दो,
मैं नित नित शीश झुकाउंगा।
है सबसे ऊपर देश धर्म,
ह्रदय में अपने बसाउंगा।।
मां मुझको तलवार दिला दो,
मैं सूरज बन दिखलाऊंगा।।ॐ।।
FAQs
सूरजमल का दूसरा नाम क्या था?
सूरजमल का दूसरा नाम सूजान सिंह था।
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